सोबन सिंह जीना विश्वविद्यालय, अल्मोड़ा द्वारा आजादी के अमृत महोत्सव एवं जी20 के अंतर्गत सोबन सिंह जीना की 114 वी जयंती के पूर्व दिवस पर गणित विभाग के सभागार में आज 12:00 बजे से एक संगोष्ठी/ व्याख्यानमाला का आयोजन हुआ। उत्तराखंड के विकास में कर्मयोगी सोबन सिंह जीना जी का योगदान विषयक इस व्याख्यानमाला में मुख्य वक्ता के रुप में गोविंद सिंह भंडारी (एडवोकेट,अध्यक्ष उत्तराखंड अधिवक्ता संघ, उत्तराखंड), संरक्षक रूप में विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर जगत सिंह बिष्ट, मुख्य अतिथि के रुप में रघुनाथ सिंह चौहान ( पूर्व विधानसभा उपाध्यक्ष,उत्तराखंड),विशिष्ट अतिथि के रूप में शोभा जोशी (पूर्व नगरपालिका, अध्यक्ष) और कार्यक्रम के संयोजक/ अध्यक्ष के रूप में प्रोफेसर प्रवीण सिंह बिष्ट(निदेशक ,सोबन सिंह जीना परिसर,अल्मोड़ा), कार्यक्रम के सह संयोजक डॉ० पारुल सक्सेना (कंप्यूटर विज्ञान विभाग), सह संयोजक डॉक्टर चंद्रप्रकाश फुलोरिया ( इतिहास एवं पुरातत्व विभाग) ने दीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम की शुरुआत की। इसके साथ संगीत विभाग की छात्राओं ने सरस्वती वंदना,प्रो० विद्याधर सिंह नेगी ने स्वर्गीय जीना के इस कार्यक्रम की रूपरेखा प्रस्तुत करते हुए अतिथियों का स्वागत किया। साथ ही अतिथियों को सम्मानित किया गया। सह संयोजक डॉक्टर चंद्रप्रकाश फुलोरिया ने कार्यक्रम के उद्देश्यों से परिचय कराते हुए जीना जी के व्यक्तित्व पर प्रकाश डाला।
सभी वर्ग, समस्त राजनैतिक दलों के लोग सम्मान की दृष्टि से देखते हैं
व्याख्यानमाला में मुख्य वक्ता के रुप में गोविंद सिंह भंडारी ने जीना के संबंध में कहा कि जीना जी ने समाज में प्रेरक के रूप में कार्य किया है। उनको सभी वर्ग, समस्त राजनैतिक दलों के लोग सम्मान की दृष्टि से देखते हैं। शिक्षा और समाज के उन्नयन में उनका योगदान स्मरणीय है। उन्होंने आगे कहा कि जीना जी का विराट व्यक्तित्व था। वे हमेशा समाज के लिए समर्पित रहे। जब उत्तरप्रदेश में यह राज्य शामिल था, तब वे पर्वतीय विकास मंत्री रहे। वे वकील के साथ साथ पत्रकार, राजनीतिज्ञ, प्रखर वक्ता भी थे। पताका शीर्षक से समाचार पत्र का संपादन करते हुए उन्होंने अंधविश्वास को लेकर बहुत गंभीर लेख लिखे। सोबन सिंह जीना विश्वविद्यालय को लेकर उन्होंने कहा कि यह कॉलेज आगरा विश्वविद्यालय से सम्बद्ध रहा है। जीना जी के प्रयासों के बल पर आज यह विश्वविद्यालय रूप में आकार ले चुका है।
जीना जी ने असंभव को संभव किया
विशिष्ट अतिथि के रूप में शोभा जोशी ने कहा की जीना जी ने असंभव को संभव किया। ऐसे कुशल व्यक्तित्व के धनी सोबन सिंह जीना जी को स्मरण करें। आज युवा मोबाइल से प्रभावित है। शिक्षालयों में छात्रों को जीना जी के विशाल व्यक्तित्व से सीखने की आवश्यकता है।
समाजसेवा के लिए एक समर्पित व्यक्ति के रूप में जीवनपर्यंत लगे रहे जीना जी
संरक्षक रूप में विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर जगत सिंह बिष्ट ने कहा कि जब हम किसी व्यक्ति की जयंती मनाते हैं तो उसके पीछे कोई न कोई उद्देश्य होता है। जीना जी का व्यक्तित्व विराट है। उनके व्यक्तित्व की एक शाखा शिक्षा की ओर भी जाती है। समाजसेवा के लिए एक समर्पित व्यक्ति के रूप में जीवनपर्यंत लगे रहे। उनका त्याग और तपस्या का जीवन रहा है। विद्यार्थियों को उनके जीवन से सीखने की आवश्यकता है। उन्होंने बहुत संघर्ष और मेहनत की है। तब जाकर उनका विशाल व्यक्तित्व बना है। एक महान व्यक्ति के नाम से जीना जी के नाम से विश्वविद्यालय बना है। हमें इसका हर्ष होना चाहिए।
अधिवक्ता पी सी तिवारी ने जीना जी के जीवन से जुड़ी अहम जानकारियां साझा की।
कर्मयोगी सोबन सिंह जीना जी ने शिक्षा, स्वास्थ्य और पर्यावरण संरक्षण के लिए जो कार्य किये हैं वो अविस्मरणीय
मुख्य अतिथि के रुप में रघुनाथ सिंह चौहान (पूर्व विधानसभा उपाध्यक्ष,उत्तराखंड) ने सोबन सिंह जीना जी के द्वारा उत्तराखंड में किये गए कार्यों पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि कर्मयोगी सोबन सिंह जीना जी ने शिक्षा, स्वास्थ्य और पर्यावरण संरक्षण के लिए जो कार्य किये हैं वो अविस्मरणीय हैं। वे एक महान जननेता के रूप में सदैव जनता से जुड़े रहे। साथ ही उन्होंने ककर्यक्रम आयोजकों को बहुत बधाई दी।
समाज के हर वर्ग के उत्थान के लिए कार्य किया
कार्यक्रम के संयोजक/ अध्यक्ष के रूप में प्रोफेसर प्रवीण सिंह बिष्ट(निदेशक) ने सोबन सिंह जीना के जीवन-संघर्षों पर विस्तार से दृष्टि डाली। उन्होंने कहा कि जीना जी ऐसे महान व्यक्ति इस भूमि में हुए हैं जिन्होंने समाज के हर वर्ग के उत्थान के लिए कार्य किया। उनके जीवन से हमें प्रेरणा लेनी चाहिए। उन्होंने कार्यक्रम के आयोजकों को कार्यक्रम की सफलता के लिए बधाई दी।
इस अवसर पर उपस्थित रहे
सह संयोजक डॉक्टर चंद्रप्रकाश फुलोरिया ने संचालन किया।
इस अवसर पर प्रो०अरविंद अधिकारी (कला,संकायाध्यक्ष), प्रो० भीमा मनराल (संकायाध्यक्ष, शिक्षा), प्रो०सोनू द्विवेदी (संकायाध्यक्ष, दृश्यकला), डॉ०मुकेश सामंत (कुलानुशासक), इंजीनियर रवींद्र नाथ पाठक, प्रो० के एन पांडे, प्रो० हरीश चंद्र जोशी, डॉ० देवेंद्र सिंह बिष्ट (विकास एवं नियोजन अधिकारी), डॉ०सबीहा नाज, डॉ० प्रीति आर्या, डॉ० गीता खोलिया, डॉ० प्रतिभा फुलोरिया,डॉ० ममता पंत,डॉ० नवीन भट्ट, डॉ० मनोज सिंह बिष्ट,डॉ० देवेंद्र धामी, डॉ० तेजपाल सिंह,, डॉ० बचन लाल, डॉ० गौरव कर्नाटक, हेमा अवस्थी, डॉ० लक्ष्मी वर्मा, डॉ० शालिनी पाठक, डॉ० रवि कुमार,डॉ० प्रमेश टम्टा, कुंदन लटवाल, रूप सिंह बिष्ट, डॉ० अर्पिता जोशी, अधिवक्ता पी सी तिवारी,एम एस नेगी, महेश आर्या, कुंवर सिंह नेगी, रूप सिंह, जशोद सिंह बिष्ट, दयाकृष्ण कांडपाल, जीवन मठपाल,डॉ गिरिजा शंकर पांडे, पीयूष, रमेश लाल आदि समाजसेवी, राष्ट्रीय कैडेट कोर के कैडेट्स उपस्थित रहे।