जल्द ही भीष्म पितामह नैन दा व स्वर कोकिला आशा नेगी का लोकप्रिय लोकगीत मार्केट में होगा लॉन्च
उत्तराखंड के लोकगीतों के भीष्म पितामह नैन नाथ रावल व स्वर कोकिला आशा नेगी ने अपनी लोककला के द्बारा अलग अलग अंदाज में अलग-अलग प्रकार के पर्वतीय क्षेत्रों के समाज से जुड़े हुए लोकगीत गाए। जिससे हमारी उत्तराखंड की संस्कृति व परंपरा को मजबूती मिलती है।
युवा पीढ़ी के लिए प्रेरणा दायक
लगभग 85 वर्षीय बुजुर्ग नैन नाथ रावल आज़ भी पुराने जमाने के लोकगीतों के जरिए नये युवा पीढ़ी के लिए प्रेरणा दायक है आशा नेगी स्वर कोकिला नैन नाथ रावल को अपने गुरु मानती है बचपन में आशा नेगी ने नैन नाथ रावल जी के गाने सुन सुन कर गीतों में दिलचस्पी ली। आज भी नैन नाथ रावल आशा नेगी को एक बेटी की तरह मानते हैं। 85 वर्षीय के बुजुर्ग नैन नाथ रावल के लोकगीतों में कोई ना कोई रहस्य जरूर निकलता है। नैन नाथ रावल व आशा नेगी के बहुत से लोकगीत बेटी,बहू,मां के बारे में जो रचित है व गानों से हमारे उत्तराखंड के समाज बहुत अच्छा असर पड़ता है ।
जल्द ही नया गाना होगा लॉन्च
अल्मोड़ा से प्रताप सिंह नेगी समाजिक कार्यकर्ता उत्तराखंड की लोक-संस्कृति से लगाव रखने वाला बताया । आशा नेगी व उत्तराखंड लोक-संस्कृति के भीष्म पितामह नैन रावल के लोकप्रिय लोकगीतों की प्रशंसा करते हुए कहा इन दोनों लोकप्रिय लोककलाकारों के लोकगीतों से हमें प्रेरणा लेनी चाहिए जो हमारी संस्कृति के धरोहर के तौर पर है।अभी जल्द से भीष्म पितामह नैन दा व स्वर कोकिला आशा नेगी का एक लोकप्रिय लोकगीत मार्केट में आने वाला है।