अल्मोड़ा: जैव विविधता जोखिम और मानव व जंगली जीव द्वंद के घटाव विषय को लेकर कार्यशाला का हुआ समापन

राष्ट्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग, भारत सरकार एवं उत्तराचंल जैविक उत्पादक एवं प्रौद्योगिकी विकास द्वारा कार्यक्रम का आयोजन किया गया।  इस कार्यक्रम में विशेषज्ञों ने बताया कि किस तरह युवा वर्ग वैज्ञानिक जानकारियों के माध्यम से स्थानीय समुदाय को पर्यावरणीय समस्याओं को रोकने में मददगार बना सकते हैं।

विभिन्न जिलों से आये 22 युवा व सन्दर्भ व्यक्तियों ने प्रतिभाग किया

प्रशिक्षण में विभिन्न जिलों से आये 22 युवा व सन्दर्भ व्यक्तियों ने प्रतिभाग किया इसके अलावा जंगली जानवर व जैव विविधता को बचाने के लिए प्रतिवर्ष जंगलों में लगने वाली आग को बचाना क्यों जरूरी है संदर्भ व्यक्तियों द्वारा जंगलों में फलदार व चौड़ी पत्ती वाले पेडों के वृक्षारोपण की जरूरत भी बतलायी गयी। विशेषज्ञों का कहना था की युवा ना सर्फ जैव विविधता को समझे बल्कि जैवविधता को बचाने में अपना योगदान दें।  इस दौरान वैज्ञानिक तकनीकों की जानकारियों के नये आयामों के साथ ही क्षेत्रीय जैवविविधता के महत्व में प्रशिक्षार्थियों ने जाना। युवाओं ने अपनी भागीदारी कर अपना पक्ष रखा इसी को ध्यान में रखते हुए जैव विविधता जोखिम और मानव व जंगली जीव द्वंद के घटाव विषय को लेकर आज आज दिनांक 10-08-2023 को जिला अल्मोड़ा चौहानपाटा  में तीन दिवसीय कार्यशाला का समापन किया गया। इसका मुख्य उद्देश्य युवाओं के बीच वैज्ञानिक साक्षरता व क्षेत्रीय विज्ञान मीडिया नेटवर्क का विकास कर इस मुद्दे पर समझ विकसित करना रहा।

प्रशिक्षण में प्रतिभाग किया

प्रशिक्षण में परियोजना समन्वयक राजेश पन्त, एवं संदर्भ यक्ति डाॅ० जीसी दुर्गापाल, सचिन,  विमल कुमार वर्मा एवं शैलेन्द्र टम्टा व विभिन्न संस्थाओं के विशेषज्ञों ने प्रतिभाग किया। उपस्थित प्रतिभागी कुमारी याशीका बिष्ट,  प्रेम लटवाल, कुमारी निकिता, चांदनी, नवल, नीरज कुमार, प्रकाश बाराकोटी, भावेश कुमार, ललित इत्यादि प्रतिभागियों ने प्रतिभाग किया।

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