बागेश्वर खनन केस पर हाईकोर्ट ने अधिकारियों को लगाई फटकार, ट्रांसफर के दिए आदेश

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उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने बागेश्वर जिले में खनन गतिविधियों पर निलंबन आदेश का उल्लंघन करने के लिए खनन अधिकारी के खिलाफ कठोर दंड लगाने का निर्देश जारी किया है। यह कदम एक रिपोर्ट के बाद उठाया गया है जिसमें सुरक्षा चिंताओं के कारण ऐसी गतिविधियों पर रोक लगाने के न्यायालय के आदेश के बावजूद खनन कार्य जारी रहने का संकेत दिया गया है।

उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने अवैध खनन गतिविधियों पर कड़ी कार्रवाई की उच्च न्यायालय ने बागेश्वर जिले की कांडा तहसील में खड़िया खनन से उत्पन्न हो रही दरारों के मामले में स्वतः संज्ञान लिया और मामले की गंभीरता को देखते हुए सुनवाई शुरू की। इस सुनवाई में खनन निदेशक, औद्योगिक सचिव, बागेश्वर जिला मजिस्ट्रेट (डीएम) और जिला खनन अधिकारी सहित अन्य संबंधित अधिकारी व्यक्तिगत रूप से न्यायालय में पेश हुए।मुख्य न्यायाधीश जी नरेंद्र और वरिष्ठ न्यायमूर्ति मनोज कुमार तिवारी की खंडपीठ ने मामले की गंभीरता को लेकर अधिकारियों की कड़ी फटकार लगाई और इसे सख्ती से लिया। कोर्ट ने तत्काल प्रभाव से बागेश्वर के खनन अधिकारी का ट्रांसफर करने का आदेश दिया। इसके साथ ही बागेश्वर पुलिस अधीक्षक (एसपी) को निर्देश दिया कि 10 जनवरी तक खनन में लगी सभी मशीनों को सीज किया जाए। एसपी को यह आदेश भी दिया गया कि वे 10 जनवरी तक एक रिपोर्ट पेश करें जिसमें खनन गतिविधियों के संबंध में सभी अपडेट शामिल हों।

अनधिकृत खनन गतिविधियों के बारे में न्याय मित्र की ओर से प्रस्तुत किए गए सुझावों के आधार पर मुख्य न्यायाधीश जी नरेंद्र और न्यायमूर्ति मनोज तिवारी ने स्थानीय पुलिस को शुक्रवार तक खनन में शामिल सभी मशीनरी जब्त करने और विस्तृत रिपोर्ट प्रस्तुत करने का आदेश दिया। न्यायालय का यह निर्णय इस आशंका से उपजा है कि सोपस्टोन खनन से आस-पास के गांवों में इमारतों को संरचनात्मक क्षति हो रही है, जिससे निवासियों को खतरा हो रहा है।न्यायालय के निलंबन आदेश के बावजूद, ग्रामीणों ने लगातार खनन कार्य जारी रहने पर चिंता व्यक्त की है। उच्च न्यायालय ने मौजूदा स्थिति पर असंतोष व्यक्त किया है और राज्य सरकार से जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ सख्त कदम उठाने का आग्रह किया है।

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