Makar sankranti 2025: सेराघाट बीणेस्वर महादेव मंदिर में दो दिवसीय मकरसंक्रांति मेले की तैयारी शुरू

अल्मोड़ा -पिथौरागढ़, बागेश्वर के सीमांत एरिया सेराघाट बीणेस्वर महादेव मंदिर में दो दिवसीय मकर संक्रांति मेले की तैयारी शुरू।अल्मोड़ा, पिथौरागढ़, बागेश्वर के सीमांत एरिया सरयू नदी व जैंगन नदी के संगम में यह महादेव मंदिर स्थापित हैं। तीनों जिलों के सीमांत एरिया 60गावों से ज्यादा लोग इस दो दिवसीय मेले अपना प्रतिभाग करके आंनद लेते हैं।बीणेस्वर महादेव मंदिर में हर साल दो दिवसीय मकरसंक्रांति मेला व एक दिवसीय शिवरात्री मेला होता है।हर साल की तरह की इस साल भी दो दिवसीय मकरसंक्रांति मेला बड़ी धूमधाम से मनाया जायेगा। क्षेत्रीय लोककलाकार व देहरादून के लोकप्रिय लोककलाकारों व पिथौरागढ़ के लोककलाकारों के द्बारा अलग अलग-अलग अंदाज में उत्तराखंड के लोकगीतों के द्बारा इस मेले में रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किए जायेंगे।अल्मोड़ा, पिथौरागढ़ बागेश्वर, हल्द्वानी, रामपुर, बरेली आदि जगहों से अलग-अलग व्यापारीयों के द्बारा इस मेले अपने स्टाल लगाए जायेंगे।अल्मोड़ा, पिथौरागढ़ बागेश्वर,के सीमांत एरिया का यह बीणेस्वर महादेव प्राचीन मंदिर है। सरयू नदी व जैंगन नदी के तट पर स्थापित होने से इस मंदिर में श्रद्धालुओं के द्धारा मकरसंक्रांति के दिन स्नान करके महादेव मंदिर जल चढ़ाने की प्रथा से प्राचीन काल से ही प्रचलित है।प्रताप सिंह नेगी समाजिक कार्यकर्ता व लोकसंगीत के प्रेमी ने बताया पिछले दो सालों इस मेले की कमेटी ने अल्मोड़ा, पिथौरागढ़ बागेश्वर,के सीमांत एरिया की महिलाओं को कुमाऊंनी पिछौड़ ,व नाक में नथ के साथ कुमाऊं मंडल के कल्चर व झोड़ा चांचरी का भी आयोजन रखा है।इस साल भी तीनों जिलों की सीमांत एरिया की मात्र शक्ति इस मेले में कुमाऊं पोषाक के साथ झोड़ा चांचरी के लिए अवगत कराया जा रहा है। नेगी ने कहा झोड़ा चांचरी हमारी संस्कृति की पहचान है।जो महिलाएं झोड़ा चांचरी गायन करना चाहती है इस दो दिवसीय मकरसंक्रांति मेले में अपनी प्रस्तुति दे सकती है।

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