चांद….. डॉ ललित योगी की कविता चांद



ये चांद बादलों का है?
या बादलों का चांद है।
चांद था जो दूर बैठा हुआ,
वो चांद अब इसरो में है।
तुम शिव जटाओं में थे,
पार्वती का चन्द्रहार हो।
चांद में दाग सबने हैं देखे,
तुम बादलों के पार हो।
झुरमुठों में चांद देखा कभी,
अब चांद तुम विज्ञान हो।
ज्योतिषि में तुम एक ग्रह,
पृथ्वी का तुम उपग्रह हो।
माध्यंदिनि,ऐतरेय,ऋग्वेद में तुम
तैतरीय, भगवत पुराण हो।
कर्क राशि के तुम स्वामी भले,
और वृषभ के उच्च राशि हो।
वृश्चिक के नीच राशि तुम,
सोम को शुभमान हो।।
भाग्योदय हो जाता है तब,
जब चंद्रमा कुंडली में हो।।
भारत के ज्ञान-विज्ञान तुम,
इस सदी के चन्द्रयान हो।
विजय गाथा गढ़ चुके अब,
शिवभूमि के जयगान हो।।

….डॉ ललित योगी

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