फाइनल की रेस से बाहर हुए लक्ष्य, कांस्य पदक की उम्मीद अब भी बरकरार

फाइनल की रेस से बाहर हुए लक्ष्य, कांस्य पदक की उम्मीद अब भी बरकरार

आज रविवार को बैडमिंटन के पुरुष एकल में भारत के स्टार शटलर लक्ष्य सेन का सामना विश्व नंबर दो खिलाड़ी डेनमार्क के विक्टर एक्सेलसन से हुआ। इस मैच में लक्ष्य को 2–0 से हार का सामना करना पड़ा और इसी के साथ वे फाइनल की रेस से बाहर हो चुके हैं।

सेमीफाइनल मुकाबले में से लक्ष्य को करना पड़ा हार का सामना

आज हुए पुरुष बैडमिंटन के सेमीफाइनल मुकाबले में डेनमार्क के खिलाड़ी विक्टर एक्सेलसन के खिलाफ 2–0 से हार का सामना करने के बाद भारतीय शटलर लक्ष्य सेन की फाइनल जाने की उम्मीदें खत्म हो चुकी हैं। हालांकि पहली बार ओलंपिक खेल रहे 22 वर्षीय लक्ष्य ने पूरी प्रतिस्पर्धा में बेहतरीन प्रदर्शन किया है और अभी भी उनकी कांस्य पदक की उम्मीद बाकी है।

बेहतरीन रहा पेरिस ओलंपिक 2024 में लक्ष्य का सफर

लक्ष्य के लिए पेरिस ओलंपिक अब तक शानदार रहा है और उनसे काफी उम्मीदें हैं। विश्व नंबर दो एक्सेलसेन टोक्यो ओलंपिक के स्वर्ण पदक विजेता हैं। लक्ष्य के लिए चुनौती आसान नहीं रहने वाली है। अगर वह जीते तो इतिहास रच देंगे।
विश्व चैंपियनशिप 2021 के कांस्य पदक विजेता लक्ष्य को डेनमार्क के खिलाड़ी से अभी तक आठ बार हार का सामना करना पड़ा है। उन्होंने एक्सेलसन को केवल एक बार 2022 में जर्मन ओपन में हराया था।

इस विश्व चैंपियन खिलाड़ी से हुआ था लक्ष्य का सामना

लक्ष्य का सामना उस एक्सेलसन से हुआ जिन्होंने पिछले कुछ वर्षों में अपने प्रतिद्वंदियों को कोई मौका नहीं दिया है। डेनमार्क के ओडेंस के रहने वाले इस 30 वर्षीय खिलाड़ी ने टोक्यो ओलंपिक में स्वर्ण पदक और रियो ओलंपिक में कांस्य पदक जीता था।  उनके नाम पर 2016 में थॉमस कप की जीत शामिल है। वह 2017 और 2022 में विश्व चैंपियन रहे। कई बीडब्ल्यूएफ विश्व टूर और सुपर सीरीज खिताब जीतने के अलावा वह दिसंबर 2021 से जून 2024 तक विश्व के नंबर एक खिलाड़ी भी रहे हैं।

यह कारनामा करने वाले पहले भारतीय खिलाड़ी

लक्ष्य सेन भारत की तरफ से ओलंपिक में पुरुष बैडमिंटन का सेमीफाइनल खेलने वाले पहले खिलाड़ी हैं। भारत का नाम रोशन करने वाले युवा सनसनी लक्ष्य सेन ने अपनी प्रतिभा और कड़ी मेहनत से 2024 पेरिस ओलंपिक के लिए क्वालीफाई कर लिया है। महज 22 साल की उम्र में यह उपलब्धि हासिल करके लक्ष्य ने साबित कर दिया है कि आयु सिर्फ एक संख्या है और सपने साकार करने के लिए जुनून और लगन ही असली हथियार हैं।

अल्मोड़ा के बेटे ने विश्व में किया है देश का नाम रोशन

लक्ष्य सेन का प्रारंभिक जीवन और शिक्षा उनकी अद्भुत  खेल यात्रा की नींव हैं। 16 अगस्त 2001 को उत्तराखंड के अल्मोड़ा में जन्मे लक्ष्य सेन के परिवार का खेल से गहरा नाता रखता है। उनके पिता, डीके सेन, एक प्रतिष्ठित बैडमिंटन कोच हैं, जिन्होंने अपने बेटे को खेल के शुरुआती गुर सिखाए। लक्ष्य का बचपन अल्मोड़ा की सुंदर पहाड़ियों में बीता, जहां उन्होंने कम उम्र में ही बैडमिंटन खेलना शुरू कर दिया था। लक्ष्य के खेल की यात्रा उनके परिवार के समर्थन और उनके पिता की कोचिंग से प्रारंभ हुई। उन्होंने अल्मोड़ा के स्थानीय बैडमिंटन क्लब में खेलना शुरू किया और जल्द ही उनकी प्रतिभा ने सभी का ध्यान आकर्षित किया। लक्ष्य ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा अल्मोड़ा में पूरी की, जहां उन्होंने खेल और पढ़ाई के बीच संतुलन बनाए रखा। अपनी शिक्षा के दौरान, लक्ष्य सेन ने बैडमिंटन के प्रति अपनी गहरी रुचि और समर्पण को बनाए रखा। उनके पिता ने उनकी प्रतिभा को देखते हुए उन्हें बैंगलोर स्थित प्रकाश पादुकोण बैडमिंटन अकादमी में दाखिला दिलाया। इस अकादमी में उन्हें पूर्व विश्व चैंपियन प्रकाश पादुकोण और अन्य अनुभवी कोचों के मार्गदर्शन में प्रशिक्षण का मौका मिला।

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