श्रीमद् भागवत कथा के पंचम दिवस श्री कृष्ण की बाल लीलाओं का हुआ अत्यंत भावपूर्ण वर्णन 

श्रीमद् भागवत कथा के पंचम दिवस श्री कृष्ण की बाल लीलाओं का हुआ अत्यंत भावपूर्ण वर्णन 

श्री रामलीला समिति महानगर द्वारा श्री रामलीला मैदान सेक्टर  सी, महानगर में आयोजित श्रीमद् भागवत कथा के पंचम दिवस का शुभारंभ समिति के अध्यक्ष ललित मोहन जोशी के द्वारा उपस्थित जनसमूह के स्वागत के साथ किया गया। कथा का प्रारंभ नवीन पांडे एवं उनकी धर्मपत्नी द्वारा पूजन के साथ किया गया।

श्री कृष्ण की बाल लीलाओं का अत्यंत भावपूर्ण वर्णन किया

 पूजन के उपरांत पंडित अंकित शास्त्री महाराज ने पंचम दिवस की कथा का शुभारंभ करते हुए कहा कि श्रीमद् भागवत पुराण में श्री कृष्ण की बाल लीलाओं का अत्यंत भावपूर्ण वर्णन किया गया है श्री कृष्ण की बाल लीलाएं भगवान की दिव्य स्वरुप को प्रकट करने के साथ-साथ भक्तों के हृदय में भक्ति, प्रेम और श्रद्धा का संचार करती हैं कान्हा की लीलाओं की शुरुआत उनके जन्म के साथ ही शुरू हो जाती है जन्म के उपरांत जब नंद और यशोदा ने कान्हा का लालन-पालन शुरू किया तो माता यशोदा का वात्सल्य देखते ही बनता है कान्हा द्वारा माता यशोदा को अपनी लीलाओं से परेशान करना और माता यशोदा द्वारा कान्हा को लाड़ करना और उनके वात्सल्य को प्रकट करता है श्री कृष्ण ने अपनी लीलाओं से पूतना, शकटासुर ,त्रिणावर्त,यमलार्जुन और कालिया नाग जैसे असुरों का उद्धार किया श्री कृष्ण की लीलाओं ने सिद्ध कर दिया कि वह कोई साधारण बालक नहीं है बल्कि पूर्ण परमेश्वर है उनका प्रत्येक कार्य लीला में है जो भक्तों के लिए उपदेश आनंद और मोक्ष का मार्ग है श्री कृष्ण को माखन बहुत प्रिय है अपने घर का ही नहीं समस्त गोकुल के घरों का माखन प्रिय है वह अपनी शखा संगियों के साथ संपूर्ण गोकुल में घूमते रहते हैं और गोपियों के घरों में घुसकर मटकी से  माखन चुरा लेते और कई बार तो उन मटकियों को तोड़ भी देते हैं यदि पकड़ लिए जाते तो मासूम से बालक बन जाते। एक दिन यशोदा जी ने श्री कृष्ण जी को माखन चोरी करते हुए पकड़ लिया उन्होंने पड़कर उन्हें रस्सी से बांध दिया है लेकिन रस्सी तो छोटी पड़ गई यह कृष्ण की लीला अनंतता का प्रतीक थी। 

माखन भक्तों का निर्मल हृदय 

आचार्य अंकित शास्त्री ने आगे कहा कि माखन भक्तों का निर्मल हृदय है और कृष्ण भक्तों के हृदय रूपी माखन को चुराने आते हैं यह लीला बताती है कि ईश्वर को पाने के लिए निश्चलता, प्रेम और भोलापन चाहिए। आचार्य अंकित शास्त्री कथा के क्रम को आगे बढ़ते हुए कहते हैं कि छप्पन भोग और गोवर्धन लीला का गहरा संबंध है ब्रज में एक परंपरा थी कि हर वर्ष देवराज इंद्र की पूजा होती थी जिससे समय से वर्षा हो। श्री कृष्ण ने यह सब देखा और लोगों से पूछा कि इंद्र की पूजा क्यों ? तब उन्होंने ब्रजवासियों को समझाया कि हमें प्राकृतिक व्यवस्था गांव और गोवर्धन की पूजा करनी चाहिए क्योंकि वह हमारे जीवन के लिए आवश्यक है वर्षा तो स्वाभाविक रूप से होती है । देवराज इंद्र का घमंड तो व्यर्थ ही है। हमें गोवर्धन पर्वत की पूजा करनी चाहिए जो हमारे गौधन और वनस्पति को पलता है श्री कृष्ण ने स्वयं गोवर्धन पर्वत का रूप धारण कर भोग ग्रहण किया बृजवासियों ने कई तरह के पकवान बनाकर अन्नकूट का विशाल भोग लगाया तभी से 56 भोग की परंपरा शुरू हुई है श्री कृष्णा प्रतिदिन आठ बार भोजन करते थे जब इंद्रदेव के क्रोध के कारण लगातार सात दिन तक वर्षा होती रही तो कृष्ण ने गोवर्धन पर्वत को अपनी अंगुली में उठाकर रखा था इस कारण वह भोजन नहीं कर पाए। सात दिन आठ बार अर्थात 56 बार भोजन नहीं कर पाए जब गोपियों ने यह देखा की प्रभु ने 7 दिन से कुछ नहीं खाया है तो उन्होंने 56 प्रकार के पकवान बनाकर उन्हें अर्पित किए जो छप्पन भोग कहलाया ईश्वर का सच्चा सम्मान प्रकृति प्राणी को अन्य और धर्म की संरक्षण में है अहंकार का त्याग और प्रेम सेवा और विश्वास ही सच्ची भक्ति है। भगवान केवल पूजा से ही नहीं प्रकृति के प्रति आभार और प्रेममयी आचरण से प्रसन्न होते हैं। आज भागवत कथा के दौरान भक्तों ने अपने प्रभु के लिए छप्पन भोग की विशेष व्यवस्था कर रखी थी। 

इस अवसर पर उपस्थित जन

इस अवसर पर रामलीला समिति की सभी पदाधिकारी विशेष रूप से महासचिव हेम पन्त, दीपक पांडे दीनू,  गिरीश जोशी, पुष्कर पन्त( सांझा चूल्हा),संजय श्रीवास्तव, देवेंद्र मिश्रा, सर्वजीत सिंह बोरा, कन्हैया पांडे,भुवन तिवारी, संजय  पांडे,  प्रकाश भट्ट के.सी.उपाध्याय,नीरद लोहानी,आनंद सिंह, नवीन पांडे, अनिल जोशी, बृजेश मेहता, हरीश लोहुमी,तारा जोशी, बी.पी.पांडें, भारती पांडे, सुजाता शर्मा, भावना लोहुमी, अनुराधा भट्ट,हेमा जोशी, रिचा जोशी, विनोद पन्त बीनू, दीपेश पांडे, नीरज लोहानी आदि लोग विशेष रूप से उपस्थित थे। 

रामलीला समिति के मीडिया प्रभारी देवेंद्र मिश्रा ने बताया कि श्रीमद् भागवत कथा रामलीला मैदान महानगर में 3 जुलाई 2025 तक प्रतिदिन सांय 5:30 बजे से 8:00 बजे तक होगी ।

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