भक्तों ने पवित्र घाटों पर लगाई श्रद्धा की डुबकी
पौराणिक धरोहरों को समेटे उत्तराखंड की काशी के नाम से प्रसिद्ध बागेश्वर में माघ माह में होने वाले उत्तरायणी मेले की अलग ही पहचान है। सरयू, गोमती और विलुप्त सरस्वती के संगम तट पर बसे शिवनगरी बागेश्वर में हर वर्ष उत्तरायणी का मेला लगता है।
रंगारंग झांकियों से हुआ उत्तरायणी मेले का शुभारंभ
आज रंगारंग झांकियों से उत्तरायणी मेले का शुभारंभ हुआ। मेले के शुभारंभ अवसर पर पूर्व राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने कहा कि उत्तरायणी का मेला ऐतिहासिक काल से चलता आ रहा है। उन्होंने कहा कि इसी पवित्र धरती से ही 1921 में अंग्रेजों के काला कानून कुली बेगार का अंत हुआ था।
भक्तों ने लगाई श्रद्धा की डुबकी
वहीं मकर संक्रांति के पावन पर्व पर कोहरे और कड़ाके की ठंड के बावजूद हरिद्वार में मां गंगा के पवित्र घाटों पर स्नानार्थियों ने श्रद्धा की डुबकी लगाई। लोगों ने गंगा स्नान कर दान-पुण्य आदि कर्म किए। खाकर गर्म वस्त्र, तिल व तिल से बने पदार्थ दान कर सुख-समृद्धि की कामना की।
इस बार मकर संक्रांति पर्व को लेकर लोगों में भ्रम बना रहा। हालांकि मकर संक्रांति 14 जनवरी को ही पड़ती है, लेकिन इस बार यह पर्व 15 जनवरी को पड़ रहा है। इस बार संक्रांति का आगमन 14-15 की मध्य रात्रि में होने से मकर संक्रांति का पर्व 15 जनवरी को मनाया जाएगा।