आज न्यायप्रिय देवता भगवान गोलू देवता धाम चितई मंदिर में नमामि गंगे के तहत वेद, पुराणों और नदी सभ्यता पर हुई विशेष चर्चा Special discussion on Vedas, Puranas and river civilization under Namami Gange in Chitai Temple
मुख्य अतिथि /मुख्य वक्ता श्री हरिदत्त पेटसाली इंटर कॉलेज के प्राचार्य डॉ महेंद्र मेहरा जी रहे
योगविभाग सोबन सिंह जीना विश्वविद्यालय अल्मोड़ा के शिक्षकों ने की वेद ,पुराण, नदियों और योग पर की चर्चा
राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन, जल शक्ति मंत्रालय भारत सरकार एवं राज्य स्वच्छ गंगा मिशन, नमामि गंगे उत्तराखण्ड के संयुक्त तत्वावधान में न्यायप्रिय देवता भगवान गोलू देवता धाम चितई मंदिर अल्मोड़ा में कार्यक्रम हुआ
राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन, जल शक्ति मंत्रालय भारत सरकार एवं राज्य स्वच्छ गंगा मिशन, नमामि गंगे उत्तराखण्ड के संयुक्त तत्वावधान में प्रदेशभर में योग शिविरों का आयोजन किया जा रहा है। इस वर्ष नमामि गंगे कार्यक्रम ने एक नई पहल करते हुए योग शिविरों के साथ-साथ आसपास स्थित मंदिरों और मठों में वेद, पुराणों और नदी सभ्यता पर विशेष चर्चा की जा रही है। इन संवादों में वेदों, पुराणों में वर्णित नदियों के महत्व, गंगा नदी की सांस्कृतिक और आध्यात्मिक भूमिका पर चर्चा की जा रही है। इसी क्रम में
न्यायप्रिय देवता भगवान गोलू देवता धाम चितई मंदिर अल्मोड़ा में नमामि गंगे वेद पुराण कार्यक्रम का हुआ
कार्यक्रम का प्रारंभ है दीप प्रजनन के साथ मुख्य अतिथि डॉ महेंद्र मेहरा जी योग विज्ञान विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ नवीन चंद भट्ट, विशिष्ट अतिथि श्री हरीश चंद्र उप्रेती, श्री नरेंद्र सिंह मनराल , श्री हिमांशु , श्री लल्लन कुमार सिंह, रजनीश जोशी, हिमानी रॉबिन ने संयुक्त रूप से मिल कर किया , तत्पश्चात मुख्य अतिथि, विशिष्ट अतिथि, व कार्यक्रम अध्यक्ष को अंग वस्त्र भेंट की।

अपने संबोधन में मुख्य अतिथि / वक्ता डॉ महेंद्र मेहरा जी ने बताया “आपो हिष्ठा मयोभुवस्ता न ऊर्जे दधातन। महेरणाय चक्षसे”
(ऋग्वेद 10.9.1)
(अर्थ: हे जल! तुम कल्याणकारी हो, हमें ऊर्जा दो, हमें चिरंजीवी बनाओ।) डॉ. मेहरा ने इस मंत्र का उल्लेख करते हुए कहा कि जल, विशेषकर गंगा जल, केवल भौतिक तत्व नहीं बल्कि वेदों में ‘प्राण’ स्वरूप माना गया है। साथी उन्होंने वेद, पुराण और भगवत गीता का वर्तमान युग में हम कैसे प्रयोग कर रहे हैं!
“असतो मा सद्गमय। तमसो मा ज्योतिर्गमय। मृत्योर्मा अमृतं गमय॥”
(बृहदारण्यक उपनिषद – यजुर्वेद शाखा)
हमें असत्य से सत्य की ओर, अंधकार से प्रकाश की ओर और मृत्यु से अमरत्व की ओर ले चलो। का वर्णन मिलता है
कार्यक्रम अध्यक्ष डॉ. नवीन चंद्र भट्ट ने अपने वक्तव्य में कहा कि
“त्रिभुवनसारिणी पुण्या गङ्गा त्रैलोक्यपावनी।
गङ्गेति यो वदत्येव मुच्यते सर्वपापतः॥” (स्कंद पुराण)
अर्थ:
जो मनुष्य केवल “गंगे” शब्द का उच्चारण करता है, वह भी सारे पापों से मुक्त हो जाता है। गंगा त्रिभुवनों की पवित्र करने वाली है। वेदों में प्रकृति को ‘माता’ कहा गया है, गंगा को ‘जीवन देने वाली शक्ति’, और योग को ‘स्व और विश्व को जोड़ने वाला माध्यम’ बताया गया है। यह कार्यक्रम इस बात का प्रमाण है कि आज भी वेदों की ऋचाएं, गीता के श्लोक और पुराणों की कथाएं हमारे व्यक्तिगत और सामाजिक जीवन को दिशा देने में पूरी तरह सक्षम हैं।
योग शिक्षक लल्लन कुमार सिंह ने बताएं कि “योग कोई केवल शारीरिक व्यायाम नहीं, बल्कि वह ज्ञान है जो वेदों से निकलकर आत्मा तक पहुँचता है।”
योग शिक्षक रजनीश जोशी ने बताया कि “वेदों में जल, वायु और अग्नि जैसे पंचमहाभूतों को देवतुल्य स्थान प्राप्त है। गंगा इन्हीं में से एक दिव्य तत्व है, जो योग, अध्यात्म और संस्कृति को जोड़ने वाली कड़ी है।”

योग शिक्षक डॉक्टर गिरीश अधिकारी ने बताया कि आज के युग में यदि हम प्रकृति, जल और जीवन के प्रति अपने दृष्टिकोण को वैदिक ज्ञान के अनुरूप बना लें, तो पर्यावरण संरक्षण अपने-आप जीवनशैली का हिस्सा बन जाएगा।” योग, गंगा और वेद — तीनों मिलकर एक ऐसा त्रिवेणी संगम बनाते हैं, जिससे केवल तन ही नहीं, मन और आत्मा भी पवित्र होती है।”
योग में शोधरत स्कॉलर श्री रोबिन हिमानी ने बताया कि गंगा केवल एक नदी नहीं, बल्कि ‘संस्कारों की वाहिका’ है। वेदों में गंगा को ऋचा और ऋत की धारा कहा गया है — अर्थात गंगा हमे सत्यमार्ग की प्रेरणा देती है।”
कार्यक्रम का आयोजन योग विज्ञान विभाग सोबन सिंह जीना विश्वविद्यालय अल्मोड़ा के विभागाध्यक्ष डॉ नवीन भट्ट की संरक्षण में चल रहा है , जिसमें डॉक्टर भट्ट का लक्ष्य है 21 जून तक उत्तराखंड के अनेक मठ मंदिरों में वेद पुराण व योग पर चर्चा हो व आम जनमानस को इसका लाभ मिल सके
कार्यक्रम का संचालन डॉ गिरीश अधिकारी जी ने किया साथ ही अंत में कल्याण मंत्र के साथ कार्यक्रम का समापन कर दिया गया कार्यक्रम में गोलू देवता धाम चितई मंदिर अल्मोड़ा की जनता जनार्दन , श्री हरिदत्त पेटशाली इंटर कॉलेज के शिक्षक व विद्यार्थी उपस्थित रहे जिन्होंने इस कार्यक्रम में बढ़ चढकर हिस्सा लेकर कार्यक्रम की शोभा बढ़ाई
नमामि गंगे का यह आयोजन सिर्फ एक कार्यक्रम नहीं, बल्कि सनातन मूल्यों, योग, पर्यावरण और भारतीय संस्कृति का संगम है — जो आज के दौर में भारत को अपनी पहचान की ओर फिर से अग्रसर कर रहा है। कार्यक्रम में आम जनमानस , मीना, पंकज राठौर, पूजा सैनी, आशीष , , संतोष बिष्ट,पूजा बोरा , हेमंत खनका, अजय सिराड़ी, जय सिराड़ी , पवन सिराड़ी, गीतांशी तिवारी , बेबी शुक्ला, महक वर्मा, किरन बिष्ट, आदित्य गूरानी, अंकित बिष्ट, योगेश पाल
आदि उपस्थित रहे।