स्वर्गीया रिसालो देवी को अश्रुपूरित भावांजलि
श्रीमती रिसालो देवी का जन्म ग्राम सिलाना , सोनीपत में अंग्रेजी सन्, 1936 में दहिया परिवार में हुआ था ।ग्रामीण किसान परिवार में जन्मी रिसालो देवी बाल्यकाल से ही बहुत कर्मठ ,सक्रिय और निर्भीक थीं।स्पष्टवादिता और सटीक बातचीत उनकी विशिष्ट शैली थी। मात्रा 13 वर्ष की अल्पायु में किस्रेंटी के धर्म सिंह राणा जी से विवाह हो जाने के बाद से वह निरंतर अपनी पारिवारिक जिम्मेदारियों का तन्मयता और आत्मीयता से निर्वाह करती रहीं।पांच पुत्रों और एक पुत्री एवं अनेक पोते पोतियों के रूप में उन्होंने आमरण भरपूर पारिवारिक सेवा ,सुश्रुषा और सम्मान पाया।अपने देदीप्यमान व्यक्तित्व और सकारात्मक कर्तृत्व से एक अनूठी मिसाल स्थापित करने वाली रिसालो देवी सामाजिक समरसता ,पारिवारिक सौमनस्य तथा कृषकीय ओजस्विता की उत्कटता का जीवंत प्रमाण थीं।10 मार्च 2025 को वह रंग एकादशी के दिन अंतिम पुण्य स्नान कर बैकुंठधाम को पधार गईं।आर्य समाज के सिद्धांतों को जीवन का आदर्श मानने वाले परिवार की वधू के रूप में हवन पूजन में आजीवन निष्ठावान रहकर पारिवारिक शुचिता और अनुशासन को व्यावहारिक रूप से क्रियान्वित करने वाली आदरणीया रिसालो देवी जी मानवीय समाज की स्मृतियों में सदैव विद्यमान रहेंगी।उनकी पुनीत आत्मा को हृदय से नमन। ॐ शांति ॐ।।