श्रीमद् भागवत कथा के छठे दिन श्रद्धालुओं ने आनंद के साथ मनाया श्री कृष्णा और रुक्मणी का विवाह उत्सव 


श्रीमद् भागवत कथा के छठे दिन श्रद्धालुओं ने आनंद के साथ मनाया श्री कृष्णा और रुक्मणी का विवाह उत्सव 

श्री रामलीला समिति महानगर द्वारा श्री रामलीला मैदान सेक्टर  सी, महानगर में आयोजित श्रीमद् भागवत कथा  के छठे दिवस का शुभारंभ समिति के अध्यक्ष ललित मोहन जोशी के द्वारा उपस्थित जनसमूह के स्वागत के साथ किया गया।  कथा का प्रारंभ डाक्टर प्रमोद कुमार पांडे  द्वारा पूजन के साथ किया गया।

श्रीमद् भागवत पुराण एक कल्याणकारी कथा

 पूजन के उपरांत राष्ट्रीय कथावाचक पंडित अंकित शास्त्री महाराज ने छठे दिवस की कथा का शुभारंभ करते हुए कहा कि श्रीमद् भागवत पुराण एक कल्याणकारी कथा है जिसकी सुनने से व्यक्ति सभी पापों से मुक्त हो जाता है।

निधिवन आज भी यह गूढ़ और रहस्यमय स्थान 

श्री कृष्ण अपने बालपन में अनेकों लीला करते रहे हैं उन्होंने वृंदावन स्थित निधिवन में गोपियों के साथ रास रचाया । निधिवन आज भी यह गूढ़ और रहस्यमय स्थान माना जाता है मान्यता है कि रात्रि में कोई रुक नहीं सकता है क्योंकि आज भी वहां श्री कृष्णा और राधा रानी रास करते हैं वहां के पेड़ टेढे़ मेढ़े और जोड़े में झुके हुए हैं।

 मान्यता है कि वह गोपियों के रूप में स्वयं उपस्थित रहते हैं महाराज एक दिव्या नृत्य है जो भगवान श्री कृष्ण ने पूर्णिमा की रात शरद ऋतु में वृंदावन की पावन निधिवन क्षेत्र में गोपियों के साथ किया था यह कोई सामान्य नृत्य नहीं बल्कि आत्मा और परमात्मा के मिलन की आध्यात्मिक लीला है। श्री कृष्ण ने अपनी योग माया से स्वयं को हर गोपी के साथ प्रकट किया हर गोपी को यह अनुभव हुआ कि श्री कृष्ण जी के साथ नृत्य कर रहे हैं गोपिया आत्मा की प्रति है और श्री कृष्ण परमात्मा की महाराज आत्मा और परमात्मा की पूर्ण मिलन की स्थिति है।

आकाशवाणी सत्य हुई और कंस रुपी आतंक का नाश हुआ

 जब श्री कृष्ण और बलराम युवावस्था में पहुंचे तो कंस ने मल युद्ध का आयोजन किया उसने छलपूर्वक अपने मामा अक्रूर जो कि कृष्ण के भक्त थे उन्हें कृष्ण और बलराम को लाने के लिए वृंदावन भेजा मथुरा पहुंचने पर उसने कुश्ती के बहाने उन्हें मल्ल युद्ध में चाणूर और मुष्टिक जैसे पहलवानों से लड़ने को कहा मल युद्ध में श्री कृष्ण ने चाणूर का वध किया और बलराम ने मुष्टिक को मार डाला। उसके बाद श्री कृष्ण ने क्रोधित होकर सिंहासन में बैठे कंस को उसके कैसे पड़कर नीचे गिराया और उसे मार डाला इस प्रकार आकाशवाणी सत्य हुई और कंस रुपी आतंक का नाश हुआ। 

गोपियों को ज्ञान वैराग्य और योग की शिक्षा दी

भगवान श्री कृष्णा कंस वध के बाद मथुरा में ही रहने लगे गोकुल और वृंदावन के वासियों विशेष कर गोपियों और यशोदा नंद का हृदय बिरहा वेदना से संतृप्त हो गया उद्धव जी जो कि श्री कृष्ण के परम सखा शिष्य और ज्ञानी ब्राह्मण थे उन्हें श्री कृष्ण ने वृंदावन भेजो ताकि गोपियों को ज्ञान वैराग्य और योग की शिक्षा दी और उन्हें शांत ना दें जब उद्धव ब्रज पहुंचे और श्री कृष्ण का संदेश सुनाया मैं तुम्हें नहीं भूलता मैं सर्वत्र हूं आत्मा और परमात्मा में भेद मत मानो यही योग है तो गोपियों उनके तर्कों को प्रेम के स्तर पर खंडित करती हैं उद्धव हमें ज्ञान और योग नहीं चाहिए हमें तो बस कृष्णा चाहिए हम उन्हीं के प्रेम में जी रहे हैं और उसी में प्राण दे तो अच्छा है उनकी बंसी की धुन हमें रात भर सोने नहीं देती वह हमारे मन प्राण और तन में बस चुके हैं उद्धव हमें कोई उपदेश मत दो तुम ब्रह्म की बात करते हो हम श्याम की बात कर रहे हैं गोपी उद्धव प्रसंग का अद्वितीय भक्ति दर्शन है जहां ईश्वर के प्रति अनन्य प्रेम त्याग और विरह की पूर्णता दिखाई देती है प्रेम वह योग है जहां भगवान स्वयं बंध जाते हैं। 

रुक्मणी और श्री कृष्ण का धूमधाम के साथ वेदी के रीति रिवाज से विवाह होता है

पंडित अंकित शास्त्री महाराज रुक्मणी विवाह का प्रसंग सुनाते हुए कहते हैं कि यह श्रीमद् भागवत पुराण में वर्णित भगवान श्री कृष्ण की एक अत्यंत सुंदर रोमांचक और भावनात्मक लीला है यह कथा प्रेम साहस नीति और धर्म का अद्भुत संगम है रुक्मणी विदर्भ देश के राजा भीषमक की पुत्री थी वह बाल्यकाल से ही श्री कृष्ण को अपने पति के रूप में वरण कर चुकी थी। रुक्मणी का भाई रुक्मी रुक्मणी का विवाह श्री कृष्ण के शत्रु शिशुपाल से करना चाहता था परंतु रुक्मणी इसके लिए तैयार नहीं थी रुक्मणी में एक ब्राह्मण को पत्र के साथ श्री कृष्ण के पास द्वारका भेजा पत्र अत्यंत भावपूर्ण था जिसमें रुक्मणी ने लिखा था कि हे प्रभु मैं आपके गुणों को सुनकर ही आपको मन,वाणी और शरीर से अपने पति के रूप में वरण कर लिया है यदि आप मुझे स्वीकार करते हैं तो विवाह की एक दिन पूर्व में जब मंदिर में देवी पूजा हेतु जाऊं तो इस समय आप मुझे कर लीजिएगा यदि आपने दीदी की तो मैं जीवन त्यागी श्री कृष्ण रुक्मणी का पत्र पढ़ते ही व्रत सजाते हैं और सुभद्रा ब्राह्मण के साथ विदर्भ की ओर स्थान करते हैं वेदपुरी को विवाह मंडप से पहले मंदिर से अगवा करने की योजना बनाते हैं जो एक धर्म युक्त घटना है रुक्मणी जैसे ही पूजा करने के उपरांत मंदिर से बाहर आती है तो श्री कृष्णा उन्हें समान पूर्वक रात में बैठकर द्वारिका की ओर चल देते हैं यह देखकर रुक्मी शिशुपाल और जरासंध को हिट होकर श्री कृष्ण का पीछा करते हैं रुक्मणी श्री कृष्ण को रोकने का प्रयास करता है लेकिन बलराम और श्री कृष्ण से परास्त कर देते हैं श्री कृष्णा रुक्मी को मारना चाहते हैं लेकिन रुक्मणी के अनुरोध पर उसके बाल काटकर अपमानित कर उसे छोड़ देते हैं द्वारका आने के बाद रुक्मणी और श्री कृष्ण का धूमधाम के साथ वेदी के रीति रिवाज से विवाह होता है कथा स्थल पर धूमधाम के साथ श्रद्धालुओं द्वारा श्री कृष्णा और रुक्मणी का विवाह उत्सव नाच गाना और आनंद के साथ मनाया गया। 

इस अवसर पर उपस्थित जन 

इस अवसर पर रामलीला समिति की सभी पदाधिकारी विशेष रूप से महासचिव हेम पन्त, दीपक पांडे दीनू, आनंद सिंह , विनोद पन्त बीनू,संजय पांडे,गिरीश जोशी, संजय श्रीवास्तव, देवेंद्र मिश्रा, सर्वजीत सिंह बोरा, कन्हैया पांडे, अनिल जोशी,एन.सी. तिवारी ,के.सी.उपाध्याय,नीरद लोहानी, नवीन पांडे, बृजेश मेहता, हरीश लोहुमी,तारा दत्त जोशी, बी.पी.पांडें, भारती पांडे, सुजाता शर्मा, भावना लोहुमी, अनुराधा भट्ट,हेमा जोशी, रिचा जोशी, दीपेश पांडे, नीरज लोहानी, बलवंत देवड़ी आदि लोग विशेष रूप से उपस्थित थे। 

रामलीला समिति के मीडिया प्रभारी देवेंद्र मिश्रा ने बताया कि श्रीमद् भागवत कथा का कल अन्तिम दिवस है और रामलीला मैदान महानगर में 3 जुलाई 2025 को प्रातः काल हवन और तत्पश्चात भंडारे का आयोजन होगा।

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